नींबू की यह उन्नत किस्मे कर देंगी मालामाल! होती है तगड़ी पैदावार। अभी के समय में किसान पारम्परिक खेती को छोड़ उन्नत तरीके से नई नई फसल की तरफ रुख कर रहे है. ऐसे ही अभी गर्मियों में मुख्य प्राकृतिक पेय के रूप में नारियल पानी या नींबू पानी का इस्तेमाल किया जाता है। खासतौर पर गर्मी के सीजन में नींबू की डिमांड काफी बढ़ जाती है। विटमिन सी का प्रमुख स्रोत नींबू, गांव हो या शहर हर जगह काफी पसंद किया जाता है। आप नींबू के बाग लगाकर अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं। कृषि वैज्ञानिक किसानों की सुविधा के लिए नींबू की नई-नई किस्में तैयार कर रहे हैं। ये ऐसी किस्में हैं, जो कम लागत में अच्छी पैदावार देती हैं जिसकी बागवानी कर किसान बेहतर लाभ ले सकते हैं। आइये जानते है इसके बारे में.
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नींबू की उन्नत किस्मे

रसराज: ज्यादातर नींबू की तरह इसका फल पीले रंग का होता है। फल का औसत वजन लगभग 55 ग्राम होता है। इसका छिलका काफी मोटा होता है जिसमें एक नींबू में 70 प्रतिशत रस होता है और 12 बीज होते हैं। इसके रस में खट्टापन या खटास छह प्रतिशत होती है।
पूसा अभिनव: इसका फल गोल आकार का और लगभग 35 से 36 ग्राम का होता है। पकने पर फल पीले रंग का होता है, रस 64.5 फीसदी तक होता है। इस किस्म के पौधे साल भर फल देते हैं और अगस्त-सितंबर और मार्च-अप्रैल के दौरान सबसे अधिक फल लगते हैं। यह मैदानी इलाकों में खेती के लिए उपयुक्त है इसके रस में खट्टापन 7 फीसदी होती है।
पूसा उदित: इसके पेड़ मध्यम आकार के होते हैं और फल आकर्षक चमकीले पीले रंग के गोल आकार के होते हैं। यह पूरे वर्ष फल देता है और दो बार फरवरी-मार्च और अगस्त-सितंबर के दौरान अधिकतम उपज देता है। इसका फल मध्यम आकार का होता है। इसका औसत वजन 34.38 ग्राम होता है। इसमें रस की मात्रा लगभग 43 फीसदी और अम्लता 7 फीसदी होती है। यह बागवानी के साथ-साथ किचन गार्डन के लिए भी बेहतर है।
एनआरसीसी नींबू-7: इसके पेड़ मध्यम आकार के होते हैं। फल एक आकर्षक चमकीले पीले रंग का गोल आकार का फल है। इसके फलों का वजन लगभग 48 ग्राम, रस की मात्रा 50.5 प्रतिशत और खट्टापन 7 प्रतिशत होता है। इसकी उपज क्षमता 22 कुंतल प्रति एकड़ प्रति साल है।
एनआरसीसी नींबू-8: इसके पेड़ मध्यम आकार के होते हैं और इसके फल गोल गुच्छों में लगते हैं। इसके फलों का वजन लगभग 50 ग्राम, रस की मात्रा 51.5 प्रतिशत, अम्लता 8 प्रतिशत तक होती है। इसकी उपज क्षमता 22 क्विंटल प्रति एकड़ प्रति वर्ष है।
इस तरह लगाए नीबू के पौधे

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आपको बता दे की सामान्य तौर पर नींबू के पौधे जुलाई-अगस्त में लगाए जाते हैं। इसकी व्यापारिक खेती के लिए चश्मा विधि से तैयार पौध का इस्तेमाल किया जाता हैं, जिसे सील बडिंग कहते हैं। पौधों की रोपाई कतार से कतार और पौध से पौध से पौध 4 से 5 मीटर की दूरी पर करनी चाहिए। तीन गुणा तीन यानी 3 फीट लंबा, 3 फीट गहरा, 3 फीट चौड़ा एक गड्ढा खोदें, गड्ढा खोदने के बाद गड्ढे की सारी मिट्टी निकाल लें, उस मिट्टी को निकालने के बाद उस मिट्टी में 10 किलो अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद डालें। मिट्टी में खाद मिलाने के बाद अगर उस क्षेत्र में दीमक की समस्या है तो दीमक को नियंत्रित करने के लिए क्लोरोपाइरीफास दवा का उपयोग किया जाता है, एक गड्ढे के लिए 50 ग्राम क्लोरोपाइरीफास दवा को गोबर और मिट्टी साथ मिलाया जाता है। उसके बाद गड्ढे को अच्छे से भर दें. गड्ढा भराई की प्रक्रिया जून के आखिरी सप्ताह या जुलाई के पहले सप्ताह तक कर देना बेहतर होता है। एक एकड़ में करीब 140 पौधे लगाए जा सकते हैं। इसका पौधा करीब 25 से लेकर 30 रुपए में आसानी से मिल जाता है।
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